India’s Deadliest Fighter Jet : बिना पायलट भी करेगा हमला!

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India’s Deadliest Fighter Jet

 ओएमसीए (OMCA) यानी ऑप्शनली मैन कॉम्बैट एयरक्राफ्ट भारतीय वायुसेना के भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। यह एक ऐसा एयरक्राफ्ट होगा जिसे जरूरत के हिसाब से मानव द्वारा संचालित किया जा सकता है या फिर इसे पूरी तरह से अनमैन्ड (Unmanned) मोड में ऑपरेट किया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आधुनिक युद्धक्षेत्र में फ्लेक्सिबिलिटी (Flexibility) प्रदान करेगा। आज की दुनिया में ड्रोन (Drone) और अनमैन्ड एयरक्राफ्ट्स का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा है, लेकिन अब यह जरूरी हो गया है कि भविष्य के सभी फाइटर जेट्स को ऐसी तकनीक से लैस किया जाए जो उन्हें दोनों तरह से संचालित करने की सुविधा दे सके। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं और एरो इंडिया जैसे प्लेटफॉर्म्स पर इस तकनीक से जुड़ी नई जानकारियां सामने आ रही हैं।

ओएमसीए की शुरुआत दरअसल कुछ साल पहले की गई थी जब भारतीय वायुसेना और रक्षा संस्थानों ने यह महसूस किया कि भविष्य में युद्ध के हालात पूरी तरह बदल सकते हैं। जहां एक तरफ अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स (UAVs) का महत्व बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर फाइटर जेट्स को भी नई तकनीकों से लैस करना जरूरी हो गया है। ओएमसीए का मूल उद्देश्य यही है कि किसी भी फाइटर जेट को जरूरत पड़ने पर पायलट के साथ उड़ाया जा सके और अगर आवश्यक हो तो इसे पूरी तरह से रिमोट कंट्रोल (Remote Control) या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) द्वारा संचालित किया जा सके। यह तकनीक विशेष रूप से उन मिशन्स में कारगर साबित हो सकती है जहां दुश्मन के इलाके में गहरी पैठ बनानी हो, लेकिन पायलट की जान को खतरे में नहीं डालना हो। इस तरह के मिशन्स में अब तक ड्रोन या पूरी तरह से अनमैन्ड एयरक्राफ्ट्स का ही इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन ओएमसीए एक नया कॉन्सेप्ट (Concept) लेकर आया है जो इन दोनों तकनीकों का मेल है।

भारतीय वायुसेना के लिए ओएमसीए कई मामलों में गेमचेंजर साबित हो सकता है। उदाहरण के लिए, अगर भारतीय वायुसेना को दुश्मन के इलाके में गुप्त ऑपरेशन करना हो और मिशन में फ्लेक्सिबिलिटी चाहिए तो ओएमसीए सबसे अच्छा विकल्प बन सकता है। युद्ध की परिस्थिति को देखते हुए इसे बिना पायलट उड़ाया जा सकता है और अगर मिशन की जरूरत हो तो इसमें पायलट को बैठाकर भी ऑपरेट किया जा सकता है। यह तकनीक भारतीय वायुसेना को काफी ताकतवर बना सकती है क्योंकि यह आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।

ओएमसीए को हाल ही में एरो इंडिया में पेश किया गया था, जहां इसे भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थानों द्वारा एक प्रमुख रक्षा प्रोजेक्ट के रूप में दर्शाया गया। इस एयरक्राफ्ट का डिजाइन आधुनिक लड़ाकू विमानों की तरह ही है, लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे ऑप्शनली मैन (Optionally Manned) बनाया गया है। इस एयरक्राफ्ट की तकनीक का विकास तेजस, कैट्स वारियर (CATS Warrior) और अन्य भारतीय रक्षा प्रोजेक्ट्स के समानांतर किया जा रहा है। वर्तमान में, किरण एयरक्राफ्ट (Kiran Aircraft) को इस तकनीक के परीक्षण के लिए उपयोग किया जा रहा है। किरण एयरक्राफ्ट को भारतीय वायुसेना की ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है और अब इस पर ओएमसीए तकनीक को टेस्ट किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह भविष्य के सभी फाइटर जेट्स पर प्रभावी ढंग से काम कर सके।

यह तकनीक भारतीय वायुसेना की रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। अगर भविष्य में यह तकनीक तेजस जैसे लड़ाकू विमानों में लागू की जाती है तो भारत की हवाई ताकत में जबरदस्त इजाफा हो सकता है। तेजस को पहले ही अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया जा रहा है और अनमैन्ड तेजस पर भी शोध शुरू हो चुका है। हालांकि, इस पर अभी तक कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है कि यह प्रोजेक्ट किस स्तर पर पहुंच चुका है, लेकिन यह तय है कि आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के पास ऑप्शनली मैन एयरक्राफ्ट्स का एक बेड़ा होगा, जो किसी भी परिस्थिति में दुश्मन को करारा जवाब देने के लिए सक्षम होगा।

ओएमसीए को खासतौर पर उन मिशन्स के लिए डिजाइन किया गया है जहां पर दुश्मन की टेरिटरी (Territory) में गहराई तक घुसकर स्ट्राइक करनी होती है। ऐसे ऑपरेशन में सबसे बड़ा जोखिम यह होता है कि पायलट की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, लेकिन अगर ऑप्शनली मैन एयरक्राफ्ट का उपयोग किया जाए तो मिशन को अधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी ऑपरेशन में छह एयरक्राफ्ट्स को भेजा जाए और इनमें से दो एयरक्राफ्ट्स ऑप्शनली मैन हों तो यह मिशन अधिक सफल हो सकता है क्योंकि दुश्मन के जवाबी हमले के दौरान यदि कोई एयरक्राफ्ट नष्ट भी हो जाए तो भी रणनीतिक रूप से ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

भारतीय रक्षा क्षेत्र में हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। तेजस मार्क 1A और तेजस मार्क 2 जैसे फाइटर जेट्स पर तेजी से काम हो रहा है और इनकी डिलीवरी जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा, कैट्स वारियर और अन्य स्वदेशी रक्षा प्रणालियों पर भी तेजी से काम किया जा रहा है। ओएमसीए इस पूरी प्रक्रिया का एक हिस्सा है और आने वाले वर्षों में यह भारत की वायुसेना के लिए एक बड़ी ताकत साबित हो सकता है। यह एयरक्राफ्ट न केवल भारतीय सेना के ऑपरेशन्स को अधिक प्रभावी बनाएगा, बल्कि इसे भविष्य के युद्धक्षेत्रों के अनुरूप भी ढालने में मदद करेगा।

अभी तक ओएमसीए के बारे में जितनी भी जानकारियां सामने आई हैं, वे इस ओर इशारा करती हैं कि यह तकनीक भारत के डिफेंस सिस्टम में एक बड़ी क्रांति ला सकती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे किसी भी लड़ाकू विमान में इंटीग्रेट (Integrate) किया जा सकता है और यह एक फ्लाइंग डिसिप्लिन (Flying Discipline) के रूप में विकसित किया जा रहा है। यानी कि यह केवल एक एयरक्राफ्ट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे आने वाले सभी भारतीय फाइटर जेट्स में शामिल किया जा सकता है।

ओएमसीए को लेकर भारतीय रक्षा विशेषज्ञों और रणनीतिकारों में काफी उत्साह है। इसे भारत की एयरोस्पेस (Aerospace) इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है और आने वाले वर्षों में यह भारतीय वायुसेना की युद्ध क्षमता को नए स्तर तक ले जाने में सक्षम होगा। इस तकनीक के माध्यम से भारत न केवल अपने दुश्मनों पर बढ़त बना सकता है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय रक्षा बाजार में भी अपनी तकनीकी ताकत का प्रदर्शन कर सकता है। वर्तमान में, भारत तेजी से आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की ओर बढ़ रहा है और ओएमसीए जैसे प्रोजेक्ट्स इसमें एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।

अंततः, ओएमसीए भारतीय वायुसेना के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी तकनीक साबित हो सकती है। यह न केवल भारतीय वायुसेना को और अधिक ताकतवर बनाएगी, बल्कि इसे भविष्य के आधुनिक युद्धक्षेत्रों के लिए भी तैयार करेगी। भारत की रक्षा क्षमता लगातार विकसित हो रही है और ऐसे में ओएमसीए एक ऐसा कदम है जो भारतीय वायुसेना को 21वीं सदी के युद्धक्षेत्र में पूरी तरह सक्षम बना सकता है। भारत के रक्षा अनुसंधान संगठन और अन्य संबंधित संस्थान इस तकनीक के विकास में जुटे हुए हैं और जल्द ही इसे पूरी तरह से भारतीय सेना में शामिल किया जा सकता है। यह तकनीक भविष्य में भारतीय वायुसेना को और अधिक घातक और कुशल बना सकती है, जिससे भारत की हवाई ताकत वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों को छू सकेगी।

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