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Peepal Tree |
पीपल के वृक्ष को भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व दिया गया है, और इसे देवताओं और पितरों का वास स्थान माना जाता है। यह मान्यता सदियों से चली आ रही है कि पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु, महेश समेत अन्य देवी-देवताओं का वास होता है, लेकिन इसका समय भी निश्चित होता है। अगर कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष की पूजा करता है, तो उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि वह किस समय और किस उद्देश्य से पूजा कर रहा है। क्योंकि अलग-अलग समय पर अलग-अलग शक्तियों का वास इस वृक्ष में माना जाता है। प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में, यानी सुबह 4 बजे से 7 बजे के बीच, पीपल के वृक्ष में ब्रह्मा जी का वास माना जाता है। इस समय जो भी व्यक्ति इस वृक्ष की पूजा करता है, उसे ब्रह्मा जी की कृपा प्राप्त होती है और ज्ञान, वैभव तथा आध्यात्मिक शक्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसी प्रकार, सुबह 7 बजे से 10:30 बजे के बीच, विष्णु जी का वास होता है। यह समय भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि कोई भक्त विष्णु जी की कृपा प्राप्त करना चाहता है तो उसे इस समय पीपल के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
सुबह 10:30 बजे से 11:30 बजे के बीच, पितरों का वास इस वृक्ष में माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति के पूर्वज नाराज हैं, पितृदोष का प्रभाव है, तो इस समय वह उनकी पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। इसके बाद, 11:30 बजे से 1:30 बजे तक, उन आत्माओं का वास होता है जिन्हें जीवन में पूर्णता प्राप्त नहीं हो पाई, जिन्हें गर्भ में ही समाप्त कर दिया गया या जिनका विवाह नहीं हुआ, अथवा जो असमय मृत्यु को प्राप्त हुए। इस समय पूजा करने से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जा सकती है। लेकिन इसके बाद, 1:30 बजे से शाम 4 बजे तक, पीपल के वृक्ष पर भूत-प्रेतों का वास माना जाता है, और इस समय इस वृक्ष के पास नहीं जाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि इस समय वहां जाने से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है, इसलिए इस समय पूजा करने की मनाही है।
शाम 4 बजे से 7 बजे के बीच, भगवान शिव का वास पीपल के वृक्ष में होता है। जो भी व्यक्ति शिव जी का भक्त है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है, वह इस समय वृक्ष के नीचे जाकर पूजा कर सकता है। शाम 7 बजे से 9 बजे तक कुबेर जी का वास होता है। अगर किसी के घर में धन की समस्या है, तंगी बनी रहती है, तो इस समय पीपल के वृक्ष के नीचे कुबेर जी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक संकट दूर हो सकता है और समृद्धि प्राप्त हो सकती है। लेकिन रात 9 बजे के बाद से सुबह 4 बजे तक पुनः भूत-प्रेतों का वास इस वृक्ष में माना जाता है, इसलिए इस समय पीपल के पास नहीं जाना चाहिए।
पूर्णिमा और अमावस्या के दिन इस वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। यदि किसी व्यक्ति को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करनी है, तो उसे पूर्णिमा के दिन सुबह 4 बजे से 10 बजे तक पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर जल अर्पित करना चाहिए, कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए और घी या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। वहीं, अमावस्या के दिन इसी विधि से पूजा करने से परिवार में अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है।
हालांकि, रविवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस दिन इसे अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि रविवार के दिन पीपल के वृक्ष में 'अलक्ष्मी' यानी दरिद्रता का वास होता है, और इस दिन इसकी पूजा करने से जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए विशेष रूप से इस दिन इस वृक्ष की पूजा करने से बचना चाहिए।
पीपल के वृक्ष की पूजा से जीवन के अनेक संकट समाप्त हो जाते हैं। चाहे पारिवारिक समस्याएं हों, आर्थिक तंगी हो, पितृ दोष हो या फिर कोई अन्य संकट, यदि सही समय पर इस वृक्ष की पूजा की जाए तो सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। सही समय पर सही विधि से पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहा फल मिल सकता है और उसका जीवन सुख-समृद्धि से भर सकता है। भारतीय संस्कृति में पीपल को न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह अधिक मात्रा में ऑक्सीजन प्रदान करता है और पर्यावरण को शुद्ध करता है। यह न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। यही कारण है कि हजारों वर्षों से यह वृक्ष हमारी संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है।