Tejas MK1A First Flight : हिला दुश्मन!

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Tejas MK1A

भारतीय वायुसेना और देश की रक्षा उत्पादन क्षमता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करते हुए, एलसीए तेजस मार्क 1A के दूसरे यूनिट ने अपनी पहली उड़ान पूरी कर ली है। यह घटना भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण कार्यक्रम के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। तेजस मार्क 1A, जो कि अत्याधुनिक तकनीक से लैस हल्का लड़ाकू विमान (Light Combat Aircraft - LCA) है, भारतीय वायुसेना के लिए एक अहम ताकत बनने जा रहा है। इस विमान की नई तस्वीरों से यह स्पष्ट होता है कि इसकी बिल्ड क्वालिटी बहुत ही शानदार है। यदि पहली यूनिट की टेल नंबर को देखें, तो वह "WA 5033" थी, जबकि इस दूसरे विमान की टेल नंबर "WA 5034" है। यह दिखाता है कि उत्पादन की प्रक्रिया लगातार आगे बढ़ रही है, हालांकि इसमें कुछ चुनौतियाँ भी रही हैं।

एलसीए तेजस मार्क 1A के उत्पादन में सबसे बड़ी बाधा इसके इंजन की डिलीवरी को लेकर आई है। भारत के पास इस विमान के लिए उपयुक्त इंजन की उपलब्धता में देरी हो रही थी, जिसके कारण इसके उत्पादन में रुकावट आई। हालांकि, भारतीय वायुसेना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने एक वैकल्पिक योजना तैयार की। इस योजना के तहत, "कैटेगरी बी" इंजनों का उपयोग करके विमानों का उत्पादन जारी रखा गया है। भारतीय वायुसेना के पास कुछ पुराने "GE F404" इंजन उपलब्ध थे, जिनका उपयोग इन नए विमानों के लिए किया जा रहा है। यह अस्थायी समाधान उत्पादन को जारी रखने के लिए अपनाया गया है ताकि परियोजना में अत्यधिक देरी न हो।

मार्च 2024 में एलसीए तेजस मार्क 1A की पहली यूनिट ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। उस समय, इसे उड़ाने के लिए एक ट्रेनर एयरक्राफ्ट के इंजन का उपयोग किया गया था। जब तक यह इंजन तेजस में लगा हुआ है, तब तक ट्रेनर एयरक्राफ्ट को हैंगर में रखा गया है। ठीक इसी तर्ज पर कैटेगरी बी इंजनों को भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि भारतीय वायुसेना और एचएएल के पास कुल मिलाकर चार से पाँच ऐसे इंजन उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल उत्पादन प्रक्रिया को जारी रखने के लिए किया जा सकता है।

अगर वर्तमान उत्पादन क्षमता की बात की जाए, तो एचएएल के एलसीए डिवीजन से सालाना आठ विमान बनाए जा सकते हैं। इसी तरह, बेंगलुरु में स्थित दूसरी प्रोडक्शन लाइन से भी आठ विमान हर साल बनाए जा सकते हैं। भारत सरकार और भारतीय वायुसेना के बीच हुए 83 तेजस मार्क 1A के सौदे के तहत 16 विमान प्रति वर्ष डिलीवर किए जाने थे। लेकिन चूंकि पहले से ही इंजन डिलीवरी में देरी हो रही थी, एचएएल ने पहले ही एक तीसरी उत्पादन लाइन शुरू कर दी थी। इस तीसरी असेंबली लाइन के जरिए अतिरिक्त आठ विमान सालाना बनाए जा सकते हैं। इस तरह, कुल उत्पादन क्षमता 24 विमानों प्रति वर्ष की हो चुकी है।

हालांकि, प्रारंभिक योजना के अनुसार, मार्च 2024 से भारतीय वायुसेना को हर साल 16 विमान डिलीवर किए जाने थे, और इस हिसाब से पाँच साल से थोड़े अधिक समय में सभी 83 विमान भारतीय वायुसेना को सौंप दिए जाने थे। लेकिन अब इंजन डिलीवरी में करीब दो साल की देरी हो चुकी है, जिससे इस समयसीमा में बदलाव आ सकता है। जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी, जो इन इंजनों की आपूर्ति कर रही है, ने यह आश्वासन दिया है कि मार्च 2025 तक इनकी डिलीवरी फिर से शुरू कर दी जाएगी। यदि यह समयसीमा पूरी होती है, तो एचएएल अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाकर सालाना 24 विमान तक कर सकता है और इस प्रकार 83 विमानों की आपूर्ति अपेक्षित समय में पूरी की जा सकती है।

अब बात करें तेजस मार्क 1A की पहली उड़ान की, तो इस विमान की तस्वीरें सामने आने के बाद विश्लेषकों ने यह पाया कि इस विमान की बिल्ड क्वालिटी बहुत ही उम्दा स्तर की है। इसके अलावा, अगर ध्यान से देखा जाए तो तस्वीरों में यह भी दिखता है कि इस विमान में "R-73" मिसाइल सिस्टम्स लगे हुए हैं। किसी भी नए विमान की पहली उड़ान के दौरान, आमतौर पर उसे "क्लीन कॉन्फ़िगरेशन" में उड़ाया जाता है, यानी कि उसमें कोई हथियार या अतिरिक्त भार नहीं होता है। लेकिन तेजस मार्क 1A की इस उड़ान में मिसाइल देखे गए हैं, जिसका सीधा मतलब है कि यह वास्तव में इसकी पहली उड़ान नहीं थी, बल्कि यह पहले भी उड़ान भर चुका था।

एलसीए तेजस मार्क 1A को भारतीय वायुसेना के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इसमें आधुनिक एवियोनिक्स (Avionics), बेहतर रडार सिस्टम, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम और अधिक हथियार ले जाने की क्षमता है। इस विमान को मुख्य रूप से मिग-21 विमानों की जगह लेने के लिए विकसित किया गया है। तेजस अपने हल्के वजन, बेहतरीन गतिशीलता और उच्च प्रदर्शन क्षमता के कारण भारतीय वायुसेना के लिए एक आदर्श विकल्प साबित हो रहा है।

इस पूरी परियोजना की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि इंजन की आपूर्ति सुचारू रूप से होती है या नहीं। यदि जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा मार्च 2025 तक इंजनों की डिलीवरी सुनिश्चित कर दी जाती है, तो तेजस मार्क 1A का उत्पादन पूरी गति से आगे बढ़ सकता है। इससे भारतीय वायुसेना को न केवल अपनी लड़ाकू क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन मिशन को भी मजबूती देगा।

अभी के लिए, सबसे अच्छी खबर यह है कि दूसरा एलसीए तेजस मार्क 1A अपनी पहली उड़ान सफलतापूर्वक पूरी कर चुका है। यह भारत की रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करता है कि भारत अपने स्वदेशी लड़ाकू विमान निर्माण कार्यक्रम में तेजी से आगे बढ़ रहा है। आने वाले वर्षों में यह विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ साबित होगा और भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत करेगा।

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