Watermelon vs Muskmelon Farming 2025: कौन देगा बंपर कमाई!

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Watermelon vs Muskmelon Farming 2025

 भारत में कृषि का महत्व किसी से छुपा नहीं है, और इसमें हर साल नई तकनीकों और खेती के बेहतर विकल्पों पर चर्चा होती रहती है। आने वाले वर्ष 2025 में तरबूज और खरबूज की खेती को लेकर किसानों के बीच यह सवाल बना रहेगा कि कौन-सी फसल अधिक लाभदायक होगी। विशेष रूप से छोटे और सीमित जमीन वाले किसान इस निर्णय को लेकर असमंजस में रह सकते हैं कि उन्हें तरबूज उगाना चाहिए या फिर खरबूज। इसी सवाल का जवाब खोजने के लिए यह विश्लेषण किया गया है कि दोनों फसलों में निवेश, मुनाफा, जोखिम और उत्पादन के आधार पर कौन-सी फसल बेहतर साबित हो सकती है।

तरबूज और खरबूज दोनों ही गर्मियों की फसलें हैं और इनकी बुवाई का सबसे उपयुक्त समय फरवरी और मार्च का महीना होता है। ये दोनों ही फसलें लगभग 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती हैं, यानी कि समय अवधि में भी कोई बड़ा अंतर नहीं है। यदि लागत की बात करें तो एक एकड़ में तरबूज की खेती करने में लगभग 50,000 से 55,000 रुपये का खर्च आता है, जबकि खरबूज की खेती में यह खर्च 55,000 से 60,000 रुपये के बीच रहता है। यानी कि दोनों फसलों की लागत में केवल 5,000 रुपये का ही अंतर देखने को मिलता है।

अब अगर उत्पादन की बात करें, तो एक एकड़ में तरबूज की खेती से लगभग 250 क्विंटल उत्पादन मिलता है, जबकि खरबूज से 150 क्विंटल का उत्पादन होता है। मंडी में अगर तरबूज का मूल्य 10 रुपये प्रति किलो मिलता है, तो इसका कुल राजस्व 2,50,000 रुपये हो सकता है। दूसरी ओर, खरबूज की कीमत अधिक रहती है और औसतन 20 रुपये प्रति किलो तक मिल सकती है, जिससे इसकी कुल आय 3,00,000 रुपये तक पहुंच सकती है। इससे यह प्रतीत होता है कि खरबूज की खेती अधिक लाभदायक हो सकती है, लेकिन जब हम जोखिम के पहलू को देखते हैं, तो तस्वीर कुछ अलग नजर आती है।

खरबूज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसकी स्टोरेज क्षमता (storage capacity) काफी कम होती है और यह जल्दी खराब हो जाता है, जबकि तरबूज को कुछ समय तक स्टोर किया जा सकता है। खरबूज में कीट और रोग लगने की संभावना भी अधिक होती है, जिससे इसका नुकसान भी अधिक हो सकता है। यही कारण है कि किसान इसे जोखिम भरी फसल मानते हैं।

ऐसे में किसानों के लिए सबसे अच्छा विकल्प यह हो सकता है कि वे दोनों फसलों को मिलाकर खेती करें। यदि एक एकड़ जमीन में आधा एकड़ में तरबूज और आधा एकड़ में खरबूज लगाया जाए, तो कुल उत्पादन में संतुलन बना रह सकता है। आधे एकड़ में तरबूज से लगभग 1,25,000 रुपये की आय होगी, जबकि आधे एकड़ में खरबूज से 1,50,000 रुपये की आमदनी हो सकती है। इस तरह कुल आय 2,75,000 रुपये होगी, जो कि किसी एक फसल को पूरी तरह लगाने से होने वाले मुनाफे के करीब ही है।

इसके अलावा, इस तरह की मिश्रित खेती करने से किसानों को यह फायदा मिलेगा कि अगर किसी एक फसल का भाव गिर भी जाता है, तो दूसरी फसल से घाटे की भरपाई की जा सकेगी। साथ ही, दोनों फसलों के लिए लगभग समान प्रकार की मिट्टी, खाद और स्प्रे की आवश्यकता होती है, जिससे लागत में भी कोई विशेष अंतर नहीं आता।

खरबूज और तरबूज की खेती में एक और महत्वपूर्ण समस्या होती है फल मक्खी (fruit fly) का प्रकोप, जो फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे बचाव के लिए किसान फ्रूट फ्लाई ट्रैप (fruit fly trap) का उपयोग कर सकते हैं। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है, जिसमें सिरका (vinegar), गुड़ और पानी का मिश्रण उपयोग में लाया जाता है। इस ट्रैप से मक्खियां आकर्षित होकर इसमें फंस जाती हैं और फसल सुरक्षित रहती है।

अंततः, यह स्पष्ट होता है कि 2025 में तरबूज और खरबूज की खेती में से किसी एक को चुनना किसान के लिए मुश्किल निर्णय हो सकता है। हालांकि, अगर किसान दोनों फसलों को संतुलित मात्रा में लगाते हैं, तो उन्हें बेहतर आमदनी और कम जोखिम मिलेगा। इस तरह के खेती मॉडल को अपनाकर किसान अपनी आय को स्थिर रख सकते हैं और नुकसान की संभावना को भी कम कर सकते हैं।



डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है। यह सामग्री विशेषज्ञ सलाह या सटीक व्यावसायिक मार्गदर्शन का विकल्प नहीं है। खेती से संबंधित किसी भी निर्णय को लेने से पहले कृपया विशेषज्ञों से परामर्श करें और अपनी स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लें। लेख में उपयोग की गई किसी भी जानकारी से उत्पन्न होने वाले किसी भी लाभ या नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। खेती के दौरान सभी सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।

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