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AAP Government in Punjab |
पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार खतरे में दिखाई दे रही है, और यह संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच बढ़ती तनातनी ने इस राजनीतिक संकट को और भी जटिल बना दिया है। हाल ही में आई रिपोर्ट्स और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पार्टी के भीतर गुटबाजी बढ़ती जा रही है, और कई विधायकों के कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी (BJP) से संपर्क में होने की चर्चाएं जोरों पर हैं। यदि यह असंतोष बढ़ता गया तो पंजाब की AAP सरकार कभी भी गिर सकती है।
राजनीतिक उथल-पुथल की शुरुआत तब हुई जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के बीच नेतृत्व को लेकर टकराव की खबरें सामने आईं। दिल्ली की AAP लीडरशिप पंजाब में अपना पूरा नियंत्रण रखना चाहती है, लेकिन भगवंत मान इसे स्वीकार करने के मूड में नहीं हैं। इस बीच, खबरें यह भी आ रही हैं कि भगवंत मान केंद्रीय गृह मंत्रालय और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि भगवंत मान अपनी अलग राह चुन सकते हैं, जैसे महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से अलग होकर किया था।
AAP के लिए यह स्थिति और भी गंभीर तब हो गई जब यह खबर आई कि पार्टी के 30 से अधिक विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं और किसी भी समय पार्टी बदल सकते हैं। इससे पंजाब में AAP सरकार का गिरना लगभग तय माना जा रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त जीत हासिल की थी और 117 में से 92 सीटें जीती थीं। लेकिन सत्ता में आने के बाद पार्टी के प्रदर्शन को लेकर जनता में असंतोष बढ़ता गया। वादे तो बहुत किए गए थे, लेकिन जमीनी स्तर पर वे पूरे होते नजर नहीं आए। सरकार की नीतियों और प्रशासनिक फैसलों से जनता में निराशा बढ़ी है।
AAP के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह भी है कि कांग्रेस अब पूरी तरह से आक्रामक हो चुकी है। पंजाब कांग्रेस के नेता खुलकर आम आदमी पार्टी को निशाना बना रहे हैं। विधायक सुखपाल सिंह खरा ने तो यहां तक कह दिया कि आम आदमी पार्टी का शासन एक 'फेक रिवोल्यूशन' (नकली क्रांति) था और जनता को ठगा गया। कांग्रेस के नेताओं का यह भी मानना है कि AAP ने सिर्फ बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन उन्हें निभाने में पूरी तरह असफल रही।
इस पूरे घटनाक्रम का असर अरविंद केजरीवाल पर भी पड़ा है। दिल्ली नगर निगम चुनावों और लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार के बाद पार्टी का मनोबल पहले ही गिर चुका था। अब पंजाब में इस तरह की अस्थिरता से पार्टी की साख और ज्यादा गिर सकती है। बीजेपी भी इस स्थिति का पूरा फायदा उठाने के लिए तैयार बैठी है। भगवंत मान के बीजेपी के संपर्क में होने की चर्चाओं ने इस संभावना को और भी मजबूत कर दिया है कि वे अपने समर्थक विधायकों के साथ अलग हो सकते हैं और बीजेपी में शामिल हो सकते हैं या फिर एक नया राजनीतिक गठबंधन बना सकते हैं।
इसके अलावा, AAP की हार का असर INDIA गठबंधन (INDIA Alliance) पर भी दिखा है। कांग्रेस और AAP दोनों इस गठबंधन का हिस्सा थे, लेकिन इन दोनों के बीच संबंध पहले ही तनावपूर्ण थे। कांग्रेस का यह आरोप रहा है कि आम आदमी पार्टी ने गुजरात और हरियाणा में विपक्षी वोट काटे, जिससे बीजेपी को फायदा हुआ। ऐसे में अब अगर पंजाब में कांग्रेस को विधायकों का समर्थन मिल जाता है तो वह सरकार बनाने की कोशिश कर सकती है।
इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम का एक और पहलू यह भी है कि क्या अरविंद केजरीवाल खुद पंजाब की राजनीति में दखल देना चाहते हैं? हाल ही में आम आदमी पार्टी के पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री का सिख होना जरूरी नहीं है। इस बयान के बाद चर्चाएं शुरू हो गईं कि क्या अरविंद केजरीवाल खुद पंजाब की सत्ता संभालने का मन बना रहे हैं? हालांकि, फिलहाल यह साफ नहीं है कि AAP इस दिशा में क्या कदम उठाने वाली है।
इस बीच, भगवंत मान की परेशानियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। उन्हें अपनी सरकार बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा, लेकिन जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, वे अच्छे नहीं हैं। पंजाब में AAP सरकार के लिए यह सबसे मुश्किल दौर साबित हो सकता है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों इस स्थिति का फायदा उठाने के लिए तैयार हैं।
पंजाब की जनता भी इस राजनीतिक अस्थिरता को लेकर चिंतित है। 2022 में जब AAP को भारी बहुमत मिला था, तब लोगों को नई राजनीति की उम्मीद थी। लेकिन दो साल के भीतर ही हालात पूरी तरह बदल गए हैं। राज्य में बेरोजगारी, नशे की समस्या और आर्थिक संकट जैसे मुद्दे अभी भी ज्यों के त्यों बने हुए हैं। ऐसे में जनता के भीतर सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अगर यह संकट और गहरा गया तो AAP के लिए 2027 के विधानसभा चुनाव जीतना लगभग नामुमकिन हो सकता है।
फिलहाल, सभी की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं कि भगवंत मान क्या फैसला लेते हैं। क्या वे पार्टी से बगावत कर बीजेपी के साथ जाते हैं, या फिर कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायकों को रोकने में कामयाब होते हैं? क्या अरविंद केजरीवाल खुद पंजाब की राजनीति में उतरते हैं? या फिर पंजाब में एक और राजनीतिक उठापटक देखने को मिलेगी? आने वाले दिनों में पंजाब की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।