Elon Musk to Launch Tesla in India? ट्रंप ने मचा दिया बवाल!

NCI

Elon Musk to Launch Tesla in India?

 डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क के बीच हाल ही में एक नया विवाद सामने आया है, जिसमें ट्रंप ने भारत में टेस्ला की फैक्ट्री खोलने को 'बहुत अनुचित' (very unfair) करार दिया है। यह बयान तब आया जब एलन मस्क ने भारत में टेस्ला की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की योजना बनाई। ट्रंप ने अपने बयान में दावा किया कि अमेरिका को अन्य देश व्यापार में अनुचित लाभ उठाने से रोकने की जरूरत है, और इस संदर्भ में उन्होंने भारत का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिकी ऑटोमोबाइल्स पर अत्यधिक टैरिफ (tariff) लगाता है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होता है। ट्रंप ने सीधे तौर पर मस्क से सवाल किया कि अगर वह भारत में फैक्ट्री खोलते हैं, तो यह अमेरिका के लिए उचित कैसे हो सकता है?

एलन मस्क ने इस चर्चा के दौरान यह स्वीकार किया कि भारत में टेस्ला की कारों पर बहुत ऊंची इंपोर्ट ड्यूटी (import duty) लगती है। उदाहरण के लिए, अगर टेस्ला की कोई कार भारत में इंपोर्ट की जाती है, जिसकी कीमत 25 लाख रुपये हो, तो उस पर 100% का टैरिफ लगने के कारण उसकी कीमत 50 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। इसका सीधा असर यह होता है कि भारत में बहुत कम लोग इस महंगे दाम पर टेस्ला की गाड़ियां खरीदने के लिए तैयार होते हैं। यही वजह है कि टेस्ला लंबे समय से भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में असमर्थ रही थी। हालांकि, पिछले साल भारत सरकार ने एक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति (electric vehicle policy) की घोषणा की, जिसमें कहा गया कि अगर कोई विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनी तीन साल के भीतर भारत में 500 मिलियन डॉलर का निवेश करती है और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करती है, तो सरकार इंपोर्ट ड्यूटी को घटाकर 15% तक कर देगी। इस प्रस्ताव को टेस्ला ने सकारात्मक रूप से लिया, और अब वह भारत में निवेश की योजना बना रही है।

यहां सवाल यह उठता है कि आखिर भारत सरकार ने ऐसा प्रस्ताव क्यों रखा? दरअसल, भारत में ऑटोमोबाइल सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, और सरकार चाहती है कि विदेशी कंपनियां भारत में निवेश करें, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ें और देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (electric vehicles) का उत्पादन बढ़े। इससे भारत को टेक्नोलॉजी और इनोवेशन (innovation) के क्षेत्र में भी लाभ मिलेगा। भारत की इस नीति का समर्थन कई उद्योग विशेषज्ञों ने किया है, लेकिन ट्रंप इससे नाखुश हैं। उनका मानना है कि अमेरिका को अपने व्यापार की सुरक्षा करनी चाहिए और ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे अमेरिकी कंपनियां अमेरिका में ही उत्पादन करें, न कि किसी अन्य देश में।

अगर टेस्ला भारत में फैक्ट्री खोलती है, तो इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा? ट्रंप का दावा है कि अगर अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों में फैक्ट्री लगाती हैं, तो इससे अमेरिका में नौकरियों (jobs) की संख्या कम हो जाएगी। हालांकि, कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह तर्क पूरी तरह सही नहीं है। वे बताते हैं कि अगर टेस्ला भारत में उत्पादन करती है, तो इससे कंपनी को कम लागत में गाड़ियां बनाने में मदद मिलेगी, जिससे उसका मुनाफा बढ़ेगा। इसका सीधा फायदा अमेरिकी निवेशकों (investors) और कर्मचारियों को भी मिलेगा। इसके अलावा, अगर टेस्ला भारत में अपने वाहनों का उत्पादन करती है, तो वह इन्हें केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी निर्यात (export) कर सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि टेस्ला की वैश्विक उपस्थिति और मजबूत होगी।

अब सवाल उठता है कि टेस्ला भारत में कौन से मॉडल लॉन्च कर सकती है और उनकी कीमतें कितनी होंगी? विशेषज्ञों के अनुसार, टेस्ला भारत में शुरुआत में अपनी गाड़ियां इंपोर्ट करेगी, खासतौर पर जर्मनी (Germany) स्थित मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से। बाद में, अगर भारतीय बाजार में अच्छी प्रतिक्रिया मिलती है, तो कंपनी भारत में स्थानीय स्तर पर उत्पादन शुरू कर सकती है। भारत में टेस्ला के संभावित शोरूम (showrooms) के स्थान भी चुने जा चुके हैं, जिसमें दिल्ली और मुंबई के प्रमुख इलाके शामिल हैं। इन शोरूम्स के अप्रैल से शुरू होने की संभावना है। हालांकि, एक बड़ी चुनौती यह होगी कि टेस्ला की गाड़ियों की कीमतें भारतीय बाजार के हिसाब से काफी ऊंची हो सकती हैं। भारत में ज्यादातर कारों की कीमत 10 से 15 लाख रुपये के बीच होती है, जबकि टेस्ला की शुरुआती कीमत इससे दोगुनी हो सकती है। इसलिए, कंपनी को अपने वाहनों में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं ताकि वे भारतीय ग्राहकों की जरूरतों और बजट के अनुरूप हों।

डोनाल्ड ट्रंप के बयान के बावजूद, टेस्ला के भारत में आने की संभावना बहुत ज्यादा है। इसकी एक और वजह यह भी है कि भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है, जिससे पर्यावरण को लाभ पहुंचे और पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) पर निर्भरता कम हो। एलन मस्क के लिए भारत एक बड़ा बाजार साबित हो सकता है, क्योंकि यहां कारों की भारी मांग है और लोग धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ रहे हैं। अगर टेस्ला अपने वाहनों की कीमतों को भारतीय बाजार के अनुसार संतुलित कर पाती है, तो कंपनी को यहां जबरदस्त सफलता मिल सकती है।

इस पूरी बहस में एक बड़ा मुद्दा अमेरिका और भारत के व्यापारिक संबंधों का भी है। ट्रंप के अनुसार, अमेरिका को ऐसे फैसलों से नुकसान होगा, जबकि भारतीय सरकार का मानना है कि इससे दोनों देशों को फायदा होगा। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का यह बयान राजनीतिक कारणों से भी हो सकता है, क्योंकि वह आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (US Presidential Election) में फिर से उम्मीदवार बन रहे हैं और अपनी नीतियों को मजबूत दिखाना चाहते हैं। वहीं, मस्क का फोकस अपने बिजनेस विस्तार पर है, और वह चाहते हैं कि टेस्ला दुनियाभर में फैले।

अंततः, टेस्ला की भारत में एंट्री सिर्फ एक बिजनेस निर्णय नहीं है, बल्कि यह भारत-अमेरिका के व्यापारिक संबंधों, वैश्विक व्यापार नीति (global trade policy) और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास से भी जुड़ी हुई है। अब यह देखने वाली बात होगी कि टेस्ला भारत में कितनी तेजी से अपना कारोबार स्थापित कर पाती है और क्या ट्रंप के इस बयान का कोई प्रभाव इस फैसले पर पड़ता है या नहीं।

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