Grow These 5 Crops :मुनाफा होगा 5 गुना!

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Grow These 5 Crops

 फरवरी 2025 का महीना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब वे अपनी फसल की योजना बनाते हैं ताकि अधिकतम उत्पादन और मुनाफा प्राप्त कर सकें। इस समय कई किसान भिंडी (Okra) की खेती करते हैं, लेकिन यदि इसके साथ सही सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग (Intercropping) की जाए, तो लाभ कई गुना बढ़ सकता है। इंटरक्रॉपिंग एक कृषि तकनीक है, जिसमें एक मुख्य फसल के साथ अन्य सहायक फसलें उगाई जाती हैं, ताकि भूमि का अधिकतम उपयोग हो और किसान की आय में वृद्धि हो। इस लेख में हम उन पाँच फसलों की चर्चा करेंगे, जिन्हें भिंडी की फसल के साथ लगाकर किसान अपनी आय को चार से पाँच गुना तक बढ़ा सकते हैं।

भिंडी की खेती में सबसे बड़ी चुनौती उसकी प्रारंभिक लागत होती है। किसान शुरुआत में बीज, खाद, कीटनाशक और सिंचाई जैसी आवश्यकताओं पर खर्च करता है और भिंडी से उत्पादन मिलने में समय लगता है। लेकिन यदि इसके साथ कुछ अन्य फसलें उगाई जाएं, तो शुरुआती लागत को उत्पादन से पहले ही निकाला जा सकता है। पहली फसल, जिसे भिंडी के साथ इंटरक्रॉप किया जा सकता है, वह है मेथी (Fenugreek)। मेथी की खेती भिंडी के साथ आसानी से की जा सकती है और यह कई फायदे प्रदान करती है। मेथी न केवल अतिरिक्त आय का स्रोत बनती है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखने में मदद करती है। मेथी के बीजों की बुवाई छिड़काव विधि से की जाती है और इसे भिंडी की क्यारियों में लगाया जाता है। मेथी की फसल जल्दी तैयार हो जाती है, जिससे किसान को कम समय में मुनाफा मिल सकता है। इसके अलावा, मेथी खरपतवार (Weeds) को बढ़ने से रोकती है, जिससे भिंडी की फसल की निराई-गुड़ाई (Weeding) का खर्च बचता है।

दूसरी फसल, जिसे भिंडी के साथ उगाया जा सकता है, वह है धनिया (Coriander)। धनिया की खेती भी भिंडी के साथ बड़ी आसानी से की जा सकती है और गर्मी के मौसम में इसका बाजार मूल्य अधिक रहता है। धनिया की बुवाई मेथी की तरह ही की जाती है और इसे भिंडी की क्यारियों में लगाया जाता है। धनिया न केवल अतिरिक्त आमदनी प्रदान करता है, बल्कि इसकी खुशबू और प्राकृतिक गुण कई कीटों (Pests) को दूर रखने में भी मदद करते हैं।

तीसरी फसल मूली (Radish) है, जिसे भिंडी के साथ सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। मूली को भिंडी की क्यारियों के किनारे यानी मेड (Ridge) पर लगाया जाता है। मूली की फसल लगभग 40-45 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि भिंडी को पूरा उत्पादन देने में अधिक समय लगता है। इस तरह, जब तक भिंडी की फसल से उपज मिलनी शुरू होगी, तब तक मूली की फसल कटकर बाजार में बेची जा सकती है। इससे किसान को शुरुआती महीनों में ही अच्छा लाभ प्राप्त हो सकता है।

चौथी फसल बीन्स (Beans) है, जिसे भिंडी के साथ इंटरक्रॉप किया जा सकता है। बीन्स का उत्पादन जल्दी होता है और इसका बाजार मूल्य भी अधिक रहता है। बीन्स को भिंडी की दो लाइनों के बीच की दूरी के अनुसार बोया जाता है। बरसात के मौसम में बीन्स का उत्पादन थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन फिर भी यह किसान के लिए एक फायदेमंद विकल्प रहता है। इसके अलावा, बीन्स की जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन (Nitrogen) को बढ़ाने में मदद करती हैं, जिससे भिंडी की फसल को प्राकृतिक रूप से पोषक तत्व मिलते हैं।

पाँचवी फसल, जिसे भिंडी के साथ लगाया जा सकता है, वह है मक्का (Maize)। मक्का को भिंडी की तीन लाइनों के बाद एक लाइन में लगाया जाता है। इसके लिए डेढ़ फीट की दूरी रखी जाती है और मक्का के बीज बोए जाते हैं। मक्का की फसल मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करती है और इसके बड़े पत्ते भिंडी की फसल को तेज धूप से बचाते हैं। इससे भिंडी की ग्रोथ बेहतर होती है और उत्पादन भी अधिक मिलता है।

इन पाँच फसलों – मेथी, धनिया, मूली, बीन्स और मक्का – को भिंडी के साथ लगाने से न केवल किसानों की आय बढ़ती है, बल्कि उनकी जमीन का भी बेहतर उपयोग होता है। इंटरक्रॉपिंग की यह तकनीक किसानों को पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक मुनाफा देती है और उनकी लागत को काफी हद तक कम कर देती है।

इस लेख में जिन फसलों की चर्चा की गई है, वे सभी किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं, खासकर वे किसान जो छोटी जोत की खेती करते हैं और अपनी भूमि का अधिकतम उपयोग करना चाहते हैं। यदि सही तकनीकों का उपयोग किया जाए, तो भिंडी के साथ इन फसलों की खेती से किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ सकती है। इसलिए, जो किसान इस साल भिंडी की खेती कर रहे हैं, वे इनमें से किसी भी फसल की इंटरक्रॉपिंग कर सकते हैं और अपनी आय को चार से पाँच गुना तक बढ़ा सकते हैं।



डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक और जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से है। यह सामग्री विशेषज्ञ सलाह या सटीक व्यावसायिक मार्गदर्शन का विकल्प नहीं है। खेती से संबंधित किसी भी निर्णय को लेने से पहले कृपया विशेषज्ञों से परामर्श करें और अपनी स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय लें। लेख में उपयोग की गई किसी भी जानकारी से उत्पन्न होने वाले किसी भी लाभ या नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। खेती के दौरान सभी सरकारी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।

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