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India Faces Huge Trade Deficit with Afghanistan! |
भारत और अफगानिस्तान के व्यापारिक संबंधों में हाल ही में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। भारत जो हमेशा से अफगानिस्तान के लिए एक प्रमुख निर्यातक रहा है, अब वहां से आयात करने में भी दिलचस्पी दिखा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2023-24 में अफगानिस्तान से लगभग 642 मिलियन डॉलर का आयात किया, जबकि निर्यात मात्र 350 मिलियन डॉलर का रहा। यानी कि भारत को अफगानिस्तान के साथ 125 मिलियन डॉलर का व्यापार घाटा (trade deficit) हुआ है, जो एक असामान्य स्थिति है क्योंकि ऐतिहासिक रूप से भारत अफगानिस्तान को अधिक निर्यात करता था और उससे कम आयात करता था। यह बदलाव भारत और अफगानिस्तान के व्यापारिक समीकरण में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है।
तालिबान शासन के आने के बाद अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में आ गई थी। वहां के लोगों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था और देश में व्यापार की स्थिति बेहद दयनीय थी। हालांकि, भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंधों से अफगानिस्तान को आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ने का मौका मिल रहा है। हाल ही में भारत के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री और तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें व्यापार को बढ़ाने और अफगानिस्तान के व्यापारियों को भारत आने के लिए वीजा देने पर चर्चा हुई। इसके परिणामस्वरूप भारत ने अफगान व्यापारियों के लिए वीजा संबंधी नियमों को आसान बनाया, जिससे व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
भारत ने अफगानिस्तान से मुख्य रूप से ड्राई फ्रूट्स, सेब, केसर, हींग और अन्य कृषि उत्पादों का आयात बढ़ाया है। यह न केवल अफगान किसानों को लाभ पहुंचा रहा है, बल्कि भारतीय व्यापारियों को भी कम कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं। उदाहरण के लिए, भारत पहले इटली और फ्रांस से सेब मंगाता था, लेकिन अब अफगानिस्तान से सस्ता और बेहतरीन गुणवत्ता वाला सेब उपलब्ध होने से यह व्यापारिक दिशा बदल गई है। अफगानिस्तान की जलवायु केसर और ड्राई फ्रूट्स के उत्पादन के लिए उपयुक्त है, और भारत इस अवसर का भरपूर लाभ उठा रहा है।
एक दिलचस्प पहलू यह है कि अफगानिस्तान में पहले बड़े पैमाने पर अफीम और अन्य नशीले पदार्थों की खेती होती थी, लेकिन अब भारत की प्रेरणा और व्यापारिक प्रोत्साहन के कारण वहां वैकल्पिक फसलों का उत्पादन हो रहा है। भारत ने अफगान किसानों को केसर, बादाम, खुबानी और अन्य कृषि उत्पादों की खेती की ओर मोड़ने में मदद की है। इससे न केवल अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है, बल्कि अफीम जैसी अवैध खेती को भी कम किया जा रहा है, जिससे समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
भारत और अफगानिस्तान के व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने में चाबहार पोर्ट की भूमिका भी अहम हो सकती है। चाबहार पोर्ट भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग प्रदान कर सकता है। अगर चाबहार पोर्ट का उपयोग सुचारू रूप से होने लगे, तो यह पाकिस्तान के वाघा बॉर्डर से होने वाले व्यापार पर निर्भरता को कम कर सकता है और भारत-ईरान-अफगानिस्तान के व्यापारिक संबंधों को और बेहतर बना सकता है। हालांकि, अभी भी राजनीतिक और लॉजिस्टिक्स से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन्हें सुलझाने की जरूरत है।
अफगानिस्तान के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाने से भारत को रणनीतिक लाभ भी मिल सकता है। चीन और पाकिस्तान जिस तरह से अफगानिस्तान में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, ऐसे में भारत के लिए अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति बनाए रखना जरूरी है। व्यापार के माध्यम से भारत अफगानिस्तान में एक मजबूत भागीदार बन सकता है और वहां के लोगों का भरोसा जीत सकता है।
भारत ने अफगानिस्तान को कई मानवीय सहायता भी दी है। भारत ने हाल ही में अफगानिस्तान को बड़ी मात्रा में गेहूं और चावल मुफ्त में उपलब्ध कराया है। इसके अलावा, दवाइयां और अन्य जरूरी वस्तुएं भी भेजी गई हैं ताकि वहां के लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी की जा सकें। इन प्रयासों से भारत ने अफगानिस्तान के प्रति अपनी सद्भावना को मजबूत किया है, जिससे भविष्य में दोनों देशों के संबंध और बेहतर हो सकते हैं।
इतिहास गवाह है कि व्यापार किसी भी देश के संबंधों को मजबूत करने का सबसे प्रभावी तरीका है। भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंध यह दर्शाते हैं कि दोनों देश एक-दूसरे की जरूरतों को समझ रहे हैं और पारस्परिक लाभ के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि, व्यापार घाटा भारत के लिए एक नई स्थिति है, लेकिन इसे एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा सकता है। भारत की नीति स्पष्ट है – वह अफगानिस्तान को सिर्फ आर्थिक मदद ही नहीं देना चाहता, बल्कि उसे आत्मनिर्भर भी बनाना चाहता है।
आगे चलकर, भारत और अफगानिस्तान के व्यापारिक संबंधों में और वृद्धि होने की संभावना है। भारत अफगानिस्तान से आयात को बढ़ावा देगा, जिससे वहां के किसानों और व्यापारियों को लाभ मिलेगा। वहीं, अफगानिस्तान भी भारत से जरूरी वस्तुएं खरीदेगा, खासकर दवाइयां और कृषि से जुड़ी अन्य चीजें। इससे दोनों देशों को आर्थिक रूप से फायदा होगा और आपसी संबंध मजबूत होंगे।
अफगानिस्तान इस समय कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन भारत के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ने से उसे नई ऊर्जा मिल रही है। यह केवल एक व्यापारिक लेन-देन नहीं है, बल्कि यह अफगानिस्तान के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है। भारत ने हमेशा अपने पड़ोसी देशों की मदद की है, और अफगानिस्तान के साथ यह सहयोग दोनों देशों के लिए एक बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकता है।