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Janus Pro AI |
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की दुनिया में एक नया खिलाड़ी उभर कर सामने आया है, जिसने तकनीकी दिग्गजों को चौंका दिया है। डीपसीक नामक एक कंपनी ने अपना नया मल्टीमॉडल AI मॉडल 'Janus Pro' लॉन्च किया है, जिसने OpenAI, Google और Microsoft जैसे बड़े नामों को पीछे छोड़ दिया है। यह मॉडल न केवल अत्यधिक प्रभावी है, बल्कि इसे कम लागत और कम पावरफुल हार्डवेयर पर भी ट्रेन किया गया है, जिससे AI उद्योग की मौजूदा धारणाएं हिल गई हैं। Janus Pro को Nvidia के H800 चिप्स पर ट्रेन किया गया है, जो कि उच्च-स्तरीय A100 या H100 चिप्स की तुलना में कम शक्तिशाली हैं। फिर भी, इस मॉडल ने OpenAI के DALL·E 3, Google के Muse 3Gen और Stability AI के SDXL को कई बेंचमार्क टेस्ट में मात दी है।
इस नए AI मॉडल की सबसे बड़ी खासियत इसकी मल्टीमॉडल क्षमता है। DALL·E 3 जैसे मॉडल केवल इमेज जेनरेशन तक सीमित हैं, लेकिन Janus Pro टेक्स्ट और इमेज दोनों को हैंडल कर सकता है। यह न केवल टेक्स्ट से इमेज बना सकता है, बल्कि मौजूदा इमेज का विश्लेषण करके उसमें छिपे ऑब्जेक्ट्स और उनके बीच के संबंधों को भी समझ सकता है। इसके अलावा, यह टेक्स्ट-आधारित टास्क भी प्रभावी रूप से संभाल सकता है, जिससे यह एक संपूर्ण AI मॉडल बन जाता है। लेकिन जो चीज इसे और भी खास बनाती है, वह इसका ओपन-सोर्स होना है।
जहाँ OpenAI और अन्य दिग्गज कंपनियाँ अपने AI मॉडल्स को बंद रखती हैं और API एक्सेस के माध्यम से ही उपयोगकर्ताओं को सेवा देती हैं, वहीं DeepSeek ने Janus Pro को पूरी तरह ओपन-सोर्स कर दिया है। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति या कंपनी इस मॉडल को डाउनलोड कर सकती है, उसमें बदलाव कर सकती है और इसे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इस्तेमाल कर सकती है। यह एक बड़ा गेम-चेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि यह AI डेवलपमेंट को लोकतांत्रिक बना सकता है, जिससे छोटे इनोवेटर्स भी अब AI मॉडल्स को बेहतर बना सकते हैं।
DeepSeek की इस रणनीति ने AI इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। जब OpenAI ने GPT-4 को डेवलप किया था, तब रिपोर्ट्स के अनुसार इसे बनाने में 100 मिलियन डॉलर से अधिक की लागत आई थी। वहीं, DeepSeek का R1 मॉडल, जो कि GPT-4 की तुलना में लगभग समान प्रदर्शन करता है, महज 5-6 मिलियन डॉलर में तैयार कर लिया गया था। यह अंतर दिखाता है कि बड़े AI मॉडल्स बनाने के लिए जरूरी नहीं कि कंपनियों को अरबों डॉलर खर्च करने पड़ें। Janus Pro के लॉन्च के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या वास्तव में बड़े AI कंपनियों का खर्चा तर्कसंगत है या वे सिर्फ मार्केट में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए अत्यधिक लागत वाली तकनीकों पर जोर दे रही हैं।
Janus Pro की सफलता ने केवल AI उद्योग ही नहीं, बल्कि वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा को भी प्रभावित किया है। अमेरिका ने चीन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें Nvidia के हाई-एंड चिप्स की सप्लाई पर रोक भी शामिल है। इन प्रतिबंधों का मकसद चीन को AI क्षेत्र में पीछे रखना था, लेकिन DeepSeek की सफलता ने यह साबित कर दिया कि चीन कम पावरफुल हार्डवेयर का इस्तेमाल करके भी अत्याधुनिक AI मॉडल्स बना सकता है। यह अमेरिका और चीन के बीच चल रही तकनीकी प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। Nvidia जैसी कंपनियों को भी इससे झटका लगा है, क्योंकि निवेशकों को अब यह डर सताने लगा है कि अगर हाई-एंड चिप्स की जरूरत ही न पड़े, तो उनका मार्केट वैल्यू गिर सकता है। DeepSeek की सफलता के बाद Nvidia के शेयरों में भी भारी गिरावट देखी गई।
DeepSeek की कामयाबी से OpenAI, Google और Microsoft के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। AI की दुनिया में अब यह स्पष्ट हो गया है कि लागत कम करके भी बेहतरीन मॉडल्स बनाए जा सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि क्या OpenAI और अन्य कंपनियाँ भी अपनी रणनीतियों में बदलाव करेंगी या वे अभी भी महंगे सुपरकंप्यूटरों और विशाल डेटा सेट्स पर निर्भर रहेंगी? फिलहाल OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन ने DeepSeek की सफलता को स्वीकार तो किया है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि OpenAI अपनी हाई-कॉस्ट स्ट्रैटेजी को नहीं बदलेगा। Google, Microsoft और Meta जैसी कंपनियाँ भी 2025 तक अपने AI इंफ्रास्ट्रक्चर में 310 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना बना रही हैं।
Janus Pro की सफलता ने यह भी दिखाया है कि Open-Source AI मॉडल्स का भविष्य उज्जवल हो सकता है। DeepSeek ने Meta और Alibaba जैसे कंपनियों के Open-Source मॉडल्स का इस्तेमाल करके अपना AI विकसित किया। यह Open-Source समुदाय के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है। अब स्वतंत्र डेवलपर्स भी Janus Pro को सुधारने और इसे नए उपयोगों के लिए अनुकूलित करने में जुट चुके हैं। अगर यह ट्रेंड जारी रहता है, तो यह AI इंडस्ट्री को पूरी तरह बदल सकता है, क्योंकि अब छोटे डेवलपर्स भी बड़े AI कंपनियों को चुनौती दे सकते हैं।
हालांकि, DeepSeek की इस सफलता के बीच एक बड़ी बाधा भी आई। जब Janus Pro और उनकी AI चैटबॉट ने एप्पल ऐप स्टोर पर नंबर 1 स्थान प्राप्त किया, तो अचानक कंपनी को एक साइबर अटैक का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी सेवाएँ कुछ समय के लिए बाधित हो गईं। इससे संदेह पैदा हुआ कि क्या यह महज एक संयोग था, या फिर कोई इसे जानबूझकर रोकने की कोशिश कर रहा था? साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब कोई कंपनी इतनी तेजी से सफल होती है और बड़े दिग्गजों को चुनौती देती है, तो वह साइबर हमलों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य बन जाती है।
AI की दुनिया में अब एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अगर Open-Source मॉडल्स को और अधिक स्वीकार्यता मिलती है और छोटे स्टार्टअप्स AI इनोवेशन को आगे बढ़ाने लगते हैं, तो यह बड़ी कंपनियों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। DeepSeek ने दिखा दिया है कि केवल बड़े डेटा सेंटर और महंगे हार्डवेयर से ही AI नहीं बनता, बल्कि स्मार्ट रणनीतियों और बेहतर एल्गोरिदम से भी इसे संभव किया जा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि AI इंडस्ट्री अगले कुछ वर्षों में किस दिशा में आगे बढ़ती है। एक बात तो तय है – Janus Pro के लॉन्च के बाद AI की दुनिया में हलचल मच चुकी है और इसका प्रभाव आने वाले समय में और गहरा होगा।