Pakistan to Buy Weapons from the US: भारत के लिए खतरा?

NCI

Pakistan to Buy Weapons from the US

हाल ही में पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की योजना बनाई है। यह निर्णय कई अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के बीच सामने आया है, जिसमें अमेरिका की विदेश नीति, चीन के साथ पाकिस्तान के संबंध और अफगानिस्तान में बढ़ती अस्थिरता शामिल है। पाकिस्तान पारंपरिक रूप से रूस और चीन से अपने हथियार आयात करता रहा है, लेकिन अब वह अमेरिका की ओर झुकाव दिखा रहा है। इस बदलाव के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हो सकते हैं, जिनमें भू-राजनीतिक परिस्थितियाँ और क्षेत्रीय तनाव शामिल हैं।

इस स्थिति को समझने के लिए हमें हाल की घटनाओं पर नजर डालनी होगी। कुछ समय पहले पाकिस्तान में चाइनीज नेशनल्स (चीनी नागरिकों) पर हमला हुआ था। पाकिस्तान सरकार ने इस हमले के लिए अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया और इसके जवाब में अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक की। पाकिस्तान ने इस घटना का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया कि चीन और पाकिस्तान के संबंधों को कमजोर करने के लिए बाहरी ताकतें काम कर रही हैं। इसके साथ ही, यह स्पष्ट करने की कोशिश की गई कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपना रहा है।

दूसरी ओर, अमेरिका ने हमेशा पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले देश के रूप में देखा है। जब डोनाल्ड ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति बने थे, तब उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाया था कि वह आतंकवादियों को शरण देने का काम करता है और अमेरिकी फंडिंग का गलत इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन अब ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद पाकिस्तान ने अपनी छवि सुधारने के लिए अमेरिका से हथियार खरीदने का फैसला किया है। यह कदम न केवल अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि पाकिस्तान की रक्षा क्षमताओं को भी बढ़ाएगा।

अमेरिका वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश है। वह विभिन्न देशों को हथियार बेचकर अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। अमेरिका के लिए यह मायने नहीं रखता कि उसके हथियार भारत जाएं, इजरायल जाएं, यूक्रेन जाएं या पाकिस्तान के पास जाएं। उसका मुख्य उद्देश्य अपने रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना है। वैश्विक स्तर पर सऊदी अरब सबसे अधिक हथियारों का आयात करता है, जबकि भारत इस सूची में दूसरे स्थान पर है। पाकिस्तान, जो कि सबसे बड़े हथियार आयातकों की सूची में 10वें स्थान पर है, अब अमेरिका से हथियार खरीदने की योजना बना रहा है।

इस बदलाव के पीछे पाकिस्तान की रणनीतिक मजबूरियाँ भी जिम्मेदार हो सकती हैं। हाल के वर्षों में पाकिस्तान को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है और चीन की ओर अत्यधिक निर्भरता से बचने के लिए वह अन्य विकल्पों की तलाश कर रहा है। चीन ने पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर निवेश किया है, विशेष रूप से चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) परियोजना के माध्यम से। लेकिन चीन की कठोर शर्तों और भारी कर्ज के कारण पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा है। इसके अलावा, अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती शक्ति भी पाकिस्तान के लिए एक चुनौती बन रही है।

भारत के दृष्टिकोण से, पाकिस्तान का यह कदम महत्वपूर्ण है। अमेरिका भारत का प्रमुख रक्षा सहयोगी है और भारत अमेरिका से कई आधुनिक हथियार प्रणाली खरीद रहा है। अगर पाकिस्तान भी अमेरिका से हथियार खरीदने लगता है, तो यह भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है। भारत पहले से ही चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य साझेदारी को लेकर सतर्क है।

क्षेत्रीय स्तर पर देखें तो दक्षिण एशिया में सुरक्षा संतुलन तेजी से बदल रहा है। एक ओर भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहा है, वहीं पाकिस्तान भी अपनी सुरक्षा रणनीतियों में बदलाव कर रहा है। पाकिस्तान के इस निर्णय से यह साफ हो जाता है कि वह अपनी रक्षा नीतियों में विविधता लाना चाहता है और केवल चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहता। इसके अलावा, अमेरिका भी पाकिस्तान को एक संभावित बाजार के रूप में देखता है, जिससे उसे अपने हथियार उद्योग को और मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

भविष्य में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच यह रक्षा सहयोग कितना सफल होगा, यह देखना बाकी है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपनी विदेश नीति में लचीलापन दिखा रहा है और बदलती वैश्विक परिस्थितियों के अनुसार अपने कदम उठा रहा है। भारत को इस स्थिति पर कड़ी नजर रखनी होगी क्योंकि यह पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

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