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This Cooking Oil is Killing You! |
रसोई में इस्तेमाल होने वाले तेलों को लेकर हाल ही में कई खुलासे हुए हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। आमतौर पर हर घर में कुकिंग ऑयल का उपयोग किया जाता है, लेकिन क्या हमें यह पता है कि जिस तेल को हम सेहतमंद समझ रहे हैं, वह धीरे-धीरे हमें बीमार बना रहा है? विशेषज्ञों की मानें तो तेल सिर्फ मोटापा ही नहीं बढ़ाता बल्कि डायबिटीज, हार्ट डिजीज और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना भी बढ़ा सकता है। बाजार में मिलने वाले सनफ्लावर, सोयाबीन, कैनोला और पाम ऑयल को हेल्दी बताकर बेचा जाता है, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है। ये तेल हमारे शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) बढ़ाते हैं और गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) को कम करते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सबसे खतरनाक पाम ऑयल होता है, जिसे बार-बार गर्म करने से उसमें जहरीले टॉक्सिन्स (toxins) बनते हैं। यही तेल बाजार में बिकने वाले समोसे, कचौड़ी और अन्य तले हुए खाने में उपयोग किया जाता है। छोटे दुकानदार बार-बार उसी तेल का इस्तेमाल करते हैं, जिससे इसमें मौजूद ट्रांस फैट्स (trans fats) और हानिकारक तत्व बढ़ जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए धीमे जहर की तरह काम करते हैं।
खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के एक सर्वे के अनुसार, भारत में कई प्रकार के कुकिंग ऑयल में मिलावट पाई गई। इस सर्वे में 4461 सैंपल लिए गए थे, जिनमें से 24.2% नमूने गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे। इनमें से कई तेलों में पेस्टिसाइड्स (pesticides) और भारी धातुएं (heavy metals) पाई गईं, जो शरीर में जाने के बाद गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इसके अलावा, मिलावट और गलत लेबलिंग भी बड़ी समस्या है। कई तेल कंपनियां अपने उत्पादों को विटामिन ए और डी से भरपूर बताती हैं, लेकिन जांच में यह दावा गलत साबित हुआ।
रसोई के तेलों को बार-बार गर्म करने से एक्रलामाइड (acrylamide) नामक केमिकल बनता है, जो हमारे दिमाग के न्यूरॉन्स (neurons) को नुकसान पहुंचाता है। इससे अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा, बार-बार इस्तेमाल किए गए तेल में फ्री रेडिकल्स (free radicals) उत्पन्न होते हैं, जो हमारे शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। मोटापे की समस्या भी इन तेलों से जुड़ी हुई है, क्योंकि तेलों में कैलोरी बहुत अधिक होती है। 1 ग्राम तेल में 9 किलो कैलोरी ऊर्जा होती है, और जब हम जरूरत से ज्यादा तेल का सेवन करते हैं, तो यह फैट के रूप में शरीर में जमा हो जाता है। इससे न सिर्फ वजन बढ़ता है, बल्कि डायबिटीज और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों के प्रकारों की बात करें तो सोयाबीन ऑयल, सनफ्लावर ऑयल, कॉर्न ऑयल, राइस ब्रान ऑयल और सबसे ज्यादा पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है। सोयाबीन ऑयल में ओमेगा-6 फैटी एसिड (omega-6 fatty acids) अधिक होता है, जो शरीर में सूजन और डायबिटीज को बढ़ा सकता है। सनफ्लावर ऑयल को हेल्दी बताया जाता है, लेकिन इसमें भी ओमेगा-6 की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर में फैट बैलेंस को बिगाड़ सकता है। राइस ब्रान ऑयल को सेहतमंद बताया जाता है, लेकिन इसमें भी ओमेगा-6 फैटी एसिड अधिक मात्रा में होता है, जिससे इसका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। सबसे ज्यादा खतरनाक पाम ऑयल होता है, जो बाजार में मिलने वाले ज्यादातर प्रोसेस्ड फूड में इस्तेमाल किया जाता है। यह तेल बहुत सस्ता होता है और दुकानदार इसे बार-बार गर्म करके उपयोग करते हैं, जिससे यह और भी जहरीला हो जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम लंबे समय तक स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो हमें अपने खाने में तेल की मात्रा को कम करना होगा। डॉक्टरों के अनुसार, एक व्यक्ति को एक महीने में आधा लीटर से ज्यादा तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, ठंड में निकाले गए तेल यानी कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल (cold-pressed oil) का उपयोग करना अधिक फायदेमंद हो सकता है। यह तेल महंगे होते हैं, लेकिन सेहत के लिए बेहतर होते हैं। इसके साथ ही, हमें तले-भुने खाने से बचना चाहिए और अगर बाहर खाना ही पड़े तो ऐसे खाने का चुनाव करें, जिसमें कम से कम तेल इस्तेमाल हुआ हो।
खाने में मिलावट को जांचने के लिए भी कुछ आसान तरीके अपनाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप बाजार से खरीदे गए पनीर की शुद्धता जांचना चाहते हैं, तो उस पर आयोडीन टिंचर (iodine tincture) डालें। अगर पनीर का रंग काला पड़ जाए तो इसका मतलब है कि वह मिलावटी है और उसमें पाम ऑयल का इस्तेमाल किया गया है। इसी तरह, अगर मक्खन बहुत सस्ता मिल रहा है, तो संभावना है कि उसमें भी पाम ऑयल मिला हो सकता है।
सरकार और खाद्य सुरक्षा एजेंसियों को इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है। सिर्फ सर्वे करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि बाजार में बिकने वाले तेलों की सख्त जांच होनी चाहिए और मिलावटी तेल बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। आम जनता को भी जागरूक होने की जरूरत है, ताकि वे सही तेल का चयन कर सकें और अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकें। सही खान-पान और फूड अवेयरनेस (food awareness) से ही हम अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा कर सकते हैं।
समस्या गंभीर है, लेकिन समाधान भी मौजूद है। हमें बस अपनी आदतों में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत है। खाने में कम तेल का उपयोग करें, तले-भुने खाने से बचें और अगर तेल इस्तेमाल करना ही है तो कोल्ड-प्रेस्ड या शुद्ध घी का इस्तेमाल करें। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम कई बीमारियों से बच सकते हैं और एक बेहतर जीवन जी सकते हैं।