Trump's Gaza Plan Sparks Outrage! पाकिस्तान में हड़कंप!

NCI

Trump's Gaza Plan Sparks Outrage!

 डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने पाकिस्तान में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है, वहीं बांग्लादेश में भी हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। ट्रंप ने हाल ही में एक योजना पेश की जिसमें उन्होंने गाजा पट्टी को पूरी तरह से अमेरिकी कब्जे में लेने की बात कही। उनके अनुसार, गाजा को एक पर्यटन स्थल (tourist destination) में तब्दील किया जा सकता है, और वहां के निवासियों को कहीं और बसाया जा सकता है। इस प्रस्ताव ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई बहस छेड़ दी है।

इस घोषणा के बाद पाकिस्तान में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। पाकिस्तान ने इस योजना को ‘इस्लामोफोबिक (Islamophobic)’ और साम्राज्यवादी (imperialistic) करार दिया है। पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अशरफ जहांगीर काजी ने कहा कि यह पूरी तरह से मुस्लिम देशों के खिलाफ षड्यंत्र है और सभी मुस्लिम देशों को अमेरिका के साथ अपने संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए। पाकिस्तान का मानना है कि यह प्रस्ताव फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन से हमेशा के लिए बेदखल करने की साजिश है, जिससे इजराइल को फायदा होगा। लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि अमेरिका की मदद के बिना पाकिस्तान खुद भी गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। अमेरिका ने कई बार पाकिस्तान को आर्थिक सहायता दी है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था डगमगाने से बची है। इसके बावजूद, पाकिस्तान लगातार अमेरिका की नीतियों की आलोचना करता रहा है।

गाजा पर कब्जे की इस योजना को लेकर वैश्विक राजनीति में बड़ी हलचल मच गई है। डोनाल्ड ट्रंप की इस योजना से इजराइल को भी फायदा हो सकता है क्योंकि इससे गाजा पर उनका अप्रत्यक्ष नियंत्रण मजबूत होगा। हालांकि, फिलिस्तीन और कई अन्य देश इस योजना के खिलाफ हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि गाजा एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन सकता है, जिससे अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को बड़ा आर्थिक लाभ होगा। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या गाजा में बसे लाखों फिलिस्तीनियों को कहीं और स्थानांतरित करना व्यावहारिक (practical) होगा? क्या वे इसे स्वीकार करेंगे? इन सभी सवालों का जवाब फिलहाल अनिश्चित (uncertain) है।

दूसरी ओर, बांग्लादेश में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। वहां हिंसा और अराजकता (chaos) बढ़ रही है, और भारत विरोधी गतिविधियां तेज हो गई हैं। बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों से देश में अस्थिरता (instability) बढ़ रही है। बांग्लादेश के कई बुद्धिजीवियों (intellectuals) ने चेतावनी दी है कि यदि हिंसा नहीं रोकी गई, तो इसका गंभीर परिणाम हो सकता है। ढाका ट्रिब्यून (Dhaka Tribune) के संपादकीय (editorial) में लिखा गया कि बांग्लादेश को ‘भीड़ तंत्र’ (mobocracy) की ओर नहीं बढ़ना चाहिए, बल्कि ‘कानून का शासन’ (rule of law) बनाए रखना चाहिए। लेकिन वर्तमान में जो हालात हैं, वे चिंताजनक हैं।

बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के पीछे कट्टरपंथी संगठनों (radical groups) की भूमिका भी देखी जा रही है। अल्पसंख्यकों (minorities) पर हमले हो रहे हैं, और सरकार इसे रोकने में विफल साबित हो रही है। ढाका ट्रिब्यून ने चेतावनी दी है कि यदि बांग्लादेश इस रास्ते पर चलता रहा, तो भविष्य में यह देश खुद को गंभीर संकट में डाल सकता है। अखबार ने लिखा कि अगर यह हिंसा नहीं रुकी, तो ‘बांग्लादेश कब्रिस्तान (graveyard) में बदल सकता है।’

इस बीच, बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच भी नजदीकियां बढ़ रही हैं। पाकिस्तान बांग्लादेश में हो रहे उथल-पुथल (turmoil) का फायदा उठाकर अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी बांग्लादेश ने पाकिस्तान के करीब जाने की कोशिश की, उसे नुकसान ही हुआ। 1971 में बांग्लादेश ने पाकिस्तान से अलग होकर अपनी स्वतंत्रता हासिल की थी, लेकिन हाल के घटनाक्रमों से ऐसा लग रहा है कि बांग्लादेश धीरे-धीरे पाकिस्तान की नीतियों की ओर झुकता जा रहा है।

भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है। यदि बांग्लादेश में हिंसा और अस्थिरता बढ़ती है, तो इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ सकता है। भारत की पूर्वी सीमा (eastern border) बांग्लादेश से लगती है, और यदि वहां अराजकता फैलती है, तो इसका सीधा असर भारत की सुरक्षा पर पड़ सकता है। भारत पहले भी बांग्लादेश को स्थिरता बनाए रखने की सलाह देता रहा है, लेकिन अब स्थिति ऐसी हो गई है कि वहां की सरकार भी हिंसा को नियंत्रित करने में विफल हो रही है।

ट्रंप के गाजा योजना को लेकर यह भी चर्चा हो रही है कि क्या अमेरिका अब सीधे तौर पर इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष (Israel-Palestine conflict) में कूदने वाला है। अमेरिका आमतौर पर प्रत्यक्ष रूप से किसी भी युद्ध में शामिल नहीं होता, बल्कि वह आर्थिक और सैन्य सहायता (military aid) देकर अपने हितों की रक्षा करता है। इजराइल को अमेरिका का लगातार समर्थन मिलता रहा है, लेकिन इस बार ट्रंप का बयान यह दर्शाता है कि अमेरिका इस पूरे मामले में कहीं अधिक आक्रामक (aggressive) हो सकता है।

गाजा पर कब्जे को लेकर पाकिस्तान और अन्य मुस्लिम देशों की प्रतिक्रिया देखने लायक है। पाकिस्तान भले ही अमेरिका की आलोचना कर रहा हो, लेकिन उसके पास इस योजना को रोकने का कोई तरीका नहीं है। पाकिस्तान खुद आर्थिक संकट में है और अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक सहायता पर निर्भर है। ऐसे में पाकिस्तान केवल बयानबाजी कर सकता है, लेकिन व्यावहारिक (practical) रूप से कुछ कर नहीं सकता।

बांग्लादेश में भी एक नया राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। वहां के लोग अब यह सोचने पर मजबूर हैं कि क्या हिंसा से उनकी समस्याओं का समाधान होगा? बांग्लादेश के अगले चुनाव (elections) पर सबकी निगाहें टिकी हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या वहां के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि कोई भी सरकार उन्हें स्थिर नहीं कर सकती? बांग्लादेश में जो हालात हैं, वे एक गंभीर संकेत दे रहे हैं कि वहां लोकतंत्र (democracy) खतरे में है।

डोनाल्ड ट्रंप की इस योजना से यह भी साफ हो गया है कि अमेरिका अब अपने भू-राजनीतिक (geopolitical) एजेंडे को खुलकर सामने ला रहा है। गाजा पर कब्जे की योजना यह दर्शाती है कि अमेरिका अब पश्चिम एशिया (Middle East) में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहता है। हालांकि, इस योजना का क्रियान्वयन (implementation) इतना आसान नहीं होगा।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अमेरिका के बीच जो नया समीकरण (equation) बन रहा है, वह दक्षिण एशिया (South Asia) और पश्चिम एशिया की राजनीति को गहराई से प्रभावित कर सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप की योजना पर अमल होता है या यह सिर्फ एक चुनावी बयान (political statement) बनकर रह जाता है। पाकिस्तान और बांग्लादेश में जो अस्थिरता (instability) बढ़ रही है, वह आने वाले समय में भारत और अन्य देशों के लिए भी एक चुनौती बन सकती है।

अब यह देखना होगा कि क्या अमेरिका वास्तव में गाजा पर कब्जे की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगा, या यह सिर्फ एक बयानबाजी (rhetoric) है। बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और पाकिस्तान की अमेरिका विरोधी नीतियों से दक्षिण एशिया में नया भू-राजनीतिक तनाव (geopolitical tension) खड़ा हो सकता है। भारत और अन्य देशों को इन घटनाओं पर बारीकी से नजर रखनी होगी, क्योंकि यह पूरे क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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