Trump’s Shocking U-Turn! : चीन ने करारा जवाब दिया!

NCI

Trump’s Shocking U-Turn!

 डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही अमेरिका की व्यापार नीतियों में भारी बदलाव देखने को मिला है। हाल ही में ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको पर लगाए गए टैरिफ (शुल्क) को अस्थायी रूप से रोक दिया है, जबकि चीन के खिलाफ अपने कड़े फैसले जारी रखे हैं। इस घटनाक्रम से अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मच गई है, क्योंकि यह अमेरिका की संरक्षणवादी (protectionist) नीतियों को दर्शाता है। ट्रंप प्रशासन ने पहले मेक्सिको और कनाडा से अमेरिका आने वाले सामानों पर 25% तक का टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन अब इसे 30 दिनों के लिए रोक दिया गया है। ट्रंप का कहना है कि दोनों देश अब अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता करने के लिए तैयार हैं, और इस वार्ता के नतीजे के आधार पर आगे कोई फैसला लिया जाएगा। हालांकि, यूरोप को लेकर ट्रंप ने अब धमकी भरे संकेत दिए हैं कि वे यूरोपीय यूनियन के खिलाफ भी टैरिफ लगा सकते हैं।

टैरिफ का सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं और उद्योगों पर पड़ता है। जब किसी भी उत्पाद पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाता है, तो उसकी कीमत बढ़ जाती है और इसका बोझ उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, अगर अमेरिका कनाडा से 100 डॉलर के किसी उत्पाद को खरीदता था और उस पर 25% टैरिफ लगा दिया गया, तो अब इसकी कीमत 125 डॉलर हो जाएगी। इसका सीधा असर अमेरिकी जनता की जेब पर पड़ता है और महंगाई बढ़ जाती है। अमेरिका के सबसे बड़े व्यापार साझेदारों में चीन, मेक्सिको और कनाडा शामिल हैं। ट्रंप प्रशासन की नीतियों के कारण अमेरिकी व्यापार नीति में बड़ा बदलाव हो सकता है और यह पूरे वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप ने जब पहली बार टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, तब इसका सबसे अधिक प्रभाव चीन पर पड़ा था। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) पहले से ही जारी था और अब इसे और बढ़ावा मिल सकता है। ट्रंप प्रशासन ने चीनी उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया था, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 15% तक का टैरिफ लगा दिया है। इस कदम से दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ेगा और वैश्विक बाजार अस्थिर हो सकता है। चीन ने अमेरिका से आने वाले कोयला, लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) और कृषि उपकरणों (agricultural equipment) पर टैरिफ बढ़ा दिया है, जिससे अमेरिका को बड़ा नुकसान हो सकता है। इस स्थिति से अमेरिकी किसानों और उद्योगों को भी नुकसान होगा क्योंकि उनके उत्पाद चीन में महंगे हो जाएंगे और मांग घट सकती है।

ट्रंप प्रशासन का मानना है कि टैरिफ लगाने से अमेरिकी उद्योगों को फायदा होगा और घरेलू उत्पादन बढ़ेगा। ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (Make America Great Again - MAGA) का नारा दिया था, जिसका मकसद अमेरिका में नौकरियां बढ़ाना और घरेलू उद्योगों को मजबूती देना था। ट्रंप का मानना है कि टैरिफ लगाने से अमेरिकी कंपनियां आयात पर निर्भर रहने के बजाय खुद उत्पादन करेंगी, जिससे अमेरिकी लोगों को रोजगार मिलेगा। हालांकि, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह रणनीति इतनी प्रभावी नहीं है क्योंकि इससे अमेरिकी कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी और अंततः यह उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाएगा।

ट्रेड वॉर (Trade War) का एक बड़ा असर महंगाई (Inflation) पर भी पड़ता है। जब भी टैरिफ बढ़ाया जाता है, तो उत्पादों की कीमतें बढ़ जाती हैं और इसका सीधा असर महंगाई दर पर पड़ता है। 2018 से 2023 के बीच अमेरिका में वॉशिंग मशीन के आयात पर टैरिफ बढ़ाने के बाद उनकी कीमतें 34% तक बढ़ गई थीं। अब अगर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और बढ़ता है, तो अमेरिकी अर्थव्यवस्था में महंगाई दर (inflation rate) 2% से बढ़कर 4% तक हो सकती है। अमेरिका में महंगाई दर आमतौर पर 2% के आसपास रहती है, लेकिन अगर यह 4% तक पहुंचती है, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा।

डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोप के खिलाफ भी टैरिफ लगाने की धमकी दी है। यूरोपीय यूनियन (EU) दुनिया का सबसे बड़ा कस्टम यूनियन (Customs Union) है, जिसमें 27 देश शामिल हैं। अगर अमेरिका यूरोपीय उत्पादों पर टैरिफ लगाता है, तो इसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। भारत अमेरिका के बाद सबसे अधिक निर्यात (exports) यूरोप को करता है। भारत यूरोप को फार्मास्युटिकल्स (pharmaceuticals), टेक्सटाइल (textiles) और ऑटोमोटिव पार्ट्स (automotive parts) जैसे कई उत्पाद निर्यात करता है। अगर अमेरिका और यूरोप के बीच व्यापार युद्ध बढ़ता है, तो इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा।

भारत और अमेरिका के संबंधों को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह वाशिंगटन में ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं। यह बैठक भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिहाज से काफी अहम होगी। भारत ने हाल ही में अमेरिका से आने वाले कुछ उत्पादों पर टैरिफ कम किया है ताकि व्यापारिक संबंध बेहतर बनाए जा सकें। कुछ अमेरिकी उत्पादों पर पहले 150% तक का टैरिफ था, जिसे अब घटाकर 70% कर दिया गया है। भारत की कोशिश है कि अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते बेहतर बने रहें और भारत पर किसी भी तरह का नया टैरिफ न लगाया जाए।

डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को लेकर कई विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। कुछ लोगों का मानना है कि ट्रंप केवल चुनावी रणनीति के तहत टैरिफ बढ़ाने की बातें कर रहे हैं, लेकिन वास्तव में वे इन्हें लागू नहीं करना चाहते। जब पहली बार टैरिफ लगाने की घोषणा हुई थी, तब अमेरिका में भी इसका विरोध हुआ था और अब ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको पर लगाए गए टैरिफ को अस्थायी रूप से रोक भी दिया है। यह दर्शाता है कि ट्रंप प्रशासन को भी यह अहसास हो रहा है कि इस तरह के फैसले अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।

अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध जारी रहने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अगर टैरिफ बढ़ते रहे, तो अमेरिका और चीन दोनों को आर्थिक नुकसान होगा और इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा। भारत के लिए यह जरूरी है कि वह अमेरिका और यूरोप के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत बनाए रखे, ताकि किसी भी तरह के टैरिफ से बचा जा सके। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन अपनी व्यापार नीतियों में और क्या बदलाव करता है और इसका वैश्विक बाजार पर क्या प्रभाव पड़ता है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top