Why Rajasthan Failed to Become the Next IT Hub?

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Why Rajasthan Failed to Become the Next IT Hub?

 राजस्थान, जो ऐतिहासिक रूप से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, पर्यटन और खनिज संसाधनों के लिए जाना जाता है, आज आर्थिक विकास के मामले में पीछे रह गया है। जबकि हरियाणा का गुरुग्राम और उत्तर प्रदेश का नोएडा आर्थिक रूप से अत्यधिक समृद्ध और औद्योगिक केंद्रों के रूप में विकसित हो चुके हैं, राजस्थान अभी भी अपनी संभावनाओं को पूरी तरह से भुना नहीं पाया है। इसका एक प्रमुख कारण राज्य में शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की धीमी गति है। हालाँकि, राजस्थान की राजधानी जयपुर और अन्य कुछ शहर तेजी से विकसित हो रहे हैं, लेकिन फिर भी वे गुरुग्राम या नोएडा जैसी आर्थिक गतिशीलता हासिल नहीं कर पाए हैं।

गुरुग्राम की सफलता का श्रेय मुख्य रूप से 1980 के दशक में शुरू हुए औद्योगिकीकरण को जाता है, जब यहाँ पर Maruti Suzuki का प्लांट स्थापित किया गया था। यह पहल शहर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई और इसके बाद विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों ने गुरुग्राम में अपने ऑफिस और फैक्ट्रियाँ लगानी शुरू कर दीं। नतीजतन, यह शहर आज देश के सबसे बड़े आईटी और फाइनेंशियल हब्स में से एक बन चुका है। इसी तरह, नोएडा भी 1976 में 'न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी' (NOIDA) के रूप में अस्तित्व में आया था। इस शहर का उद्देश्य दिल्ली के औद्योगिक भार को कम करना और राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना था। आज, नोएडा न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर आईटी और स्टार्टअप हब के रूप में उभर चुका है।

अब सवाल यह उठता है कि राजस्थान इस विकास की दौड़ में क्यों पीछे रह गया? राजस्थान के पास गुरुग्राम और नोएडा जैसा बनने की पूरी क्षमता है, लेकिन कुछ अहम कारणों से यह अब तक उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया। सबसे बड़ी समस्या यहां के बुनियादी ढांचे (infrastructure) और शहरी नियोजन (urban planning) की रही है। सड़क, बिजली, पानी और इंटरनेट जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण बड़ी कंपनियाँ यहाँ निवेश करने से हिचकिचाती हैं। इसके अलावा, सरकारी नीतियों की धीमी कार्यान्वयन प्रक्रिया और लालफीताशाही (bureaucracy) ने भी निवेशकों को दूर रखा है।

लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि राजस्थान में कोई प्रयास नहीं किए गए। पिछले कुछ वर्षों में राज्य सरकार ने जयपुर, कोटा और उदयपुर को आईटी और स्टार्टअप हब के रूप में विकसित करने की कोशिश की है। हालांकि, इन शहरों की भौगोलिक स्थिति और दिल्ली-मुंबई जैसे प्रमुख आर्थिक केंद्रों से दूरी के कारण, वे उस स्तर का औद्योगिक आकर्षण प्राप्त नहीं कर सके, जो गुरुग्राम और नोएडा को मिला।

राजस्थान को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए जरूरी है कि वह अपने रणनीतिक स्थान और उपलब्ध संसाधनों का सही उपयोग करे। राजस्थान का अलवर और भरतपुर क्षेत्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का हिस्सा है, जो इसे गुरुग्राम और नोएडा के समान विकास करने का एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। यह क्षेत्र दिल्ली से काफी नजदीक है और यदि यहाँ उचित बुनियादी ढांचा तैयार किया जाए, तो यह देश के अगले बड़े औद्योगिक और आईटी हब के रूप में विकसित हो सकता है।

इसके अलावा, राजस्थान के पास प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है। यहाँ पर खनिजों की प्रचुरता है, जिससे भारी उद्योग (heavy industries) को बढ़ावा दिया जा सकता है। साथ ही, राजस्थान सौर ऊर्जा (solar energy) के क्षेत्र में भी अग्रणी है और इसे अक्षय ऊर्जा (renewable energy) के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। हाल ही में सरकार ने राजस्थान में एक नया आईटी सिटी विकसित करने की योजना बनाई है, जो गुरुग्राम से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित होगा। यह परियोजना अगर सफल रही, तो यह राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।

सरकार ने औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। हाल ही में टाटा समूह के साथ मिलकर राज्य के 100 से अधिक आईटीआई (ITI) संस्थानों को अपग्रेड करने की योजना बनाई गई है, ताकि स्थानीय युवाओं को उच्च स्तर की तकनीकी शिक्षा और कौशल (skills) मिल सके। इससे न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार (employment) के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि बड़ी कंपनियाँ भी यहाँ पर निवेश करने के लिए आकर्षित होंगी।

राजस्थान की सरकार और केंद्र सरकार ने भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में वित्त मंत्रालय ने राजस्थान के एनसीआर क्षेत्र (भरतपुर और अलवर) को विकसित करने के लिए 3333 करोड़ रुपये की सहायता को मंजूरी दी है। यह धनराशि बुनियादी ढांचे के विकास, अस्पतालों के आधुनिकीकरण और ट्रामा केयर नेटवर्क को मजबूत करने में इस्तेमाल की जाएगी। इससे राजस्थान को केवल आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक रूप से भी मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।

लेकिन सिर्फ सरकारी योजनाओं और नीतियों से ही विकास संभव नहीं होगा। राजस्थान को गुरुग्राम और नोएडा की तरह उभरने के लिए एक समग्र विकास दृष्टिकोण (holistic development approach) अपनाना होगा। सरकार को निवेशकों को आकर्षित करने के लिए व्यापार करने में आसानी (ease of doing business) को बढ़ावा देना होगा, ताकि लालफीताशाही और प्रशासनिक बाधाओं को कम किया जा सके। इसके अलावा, कुशल कार्यबल (skilled workforce) को तैयार करने के लिए शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

इसके अलावा, राज्य सरकार को दिल्ली और केंद्र सरकार के साथ मिलकर एक व्यापक मास्टर प्लान तैयार करना चाहिए, जिसमें बुनियादी ढांचे, परिवहन नेटवर्क और लॉजिस्टिक्स को प्राथमिकता दी जाए। राजस्थान में कई राष्ट्रीय राजमार्ग और औद्योगिक गलियारे (industrial corridors) गुजरते हैं, जिनका सही उपयोग करके इसे आर्थिक शक्ति में बदला जा सकता है।

हालांकि, इन सभी प्रयासों के बावजूद, एक सवाल हमेशा बना रहेगा—क्या राजस्थान आने वाले वर्षों में गुरुग्राम और नोएडा की तरह एक सफल औद्योगिक केंद्र बन पाएगा? यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार, उद्योग जगत और स्थानीय प्रशासन किस हद तक मिलकर काम करते हैं। अगर सही दिशा में ठोस प्रयास किए गए, तो कोई कारण नहीं कि राजस्थान भी भारत के औद्योगिक और आईटी केंद्रों में एक प्रमुख स्थान न हासिल कर सके।

राजस्थान के पास सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं—संसाधन, भौगोलिक स्थिति और सरकार की इच्छाशक्ति। बस जरूरत है सही रणनीति और प्रभावी क्रियान्वयन की। अगर आने वाले वर्षों में राजस्थान इन बिंदुओं पर ध्यान देता है, तो वह दिन दूर नहीं जब यह भी अपने गुरुग्राम और नोएडा के समान एक समृद्ध आर्थिक केंद्र के रूप में जाना जाएगा।

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